Who will be next cm?: महाराष्ट्र चुनाव में 23 नवंबर से शुरू होगा ‘म्यूजिकल चेयर’, सीएम पोस्ट के लिए महायुति और MVA में होगा असली ‘खेल’
महाराष्ट्र चुनाव में अभी आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, मगर महायुति और MVA में असली खेल अभी बाकी है। यह खेल चुनाव परिणाम आने के बाद ही शुरू होगा। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि चुनाव के नतीजों के बाद फिर से महाराष्ट्र में उठापटक होगी। महाराष्ट्र में सीएम की कुर्सी 1 है और 5 प्रमुख दावेदार है।
Mumbai: महाराष्ट्र चुनाव में महायुति और महाविकास अघाड़ी (MVA) के बीच ताबड़तोड़ ‘बयानों के बाण’ चलाए जा रहे हैं। हेलिकॉप्टर चेकिंग, बाल ठाकरे, अडाणी, कटेंगे तो बंटेंगे जैसे नारों से चुनावी समर सज चुका है। अभी असली लड़ाई बाकी है, जो 23 नवंबर को चुनाव परिणाम के बाद शुरू होगा। एक्सपर्ट मानते हैं कि चुनाव के बाद सत्ता किसी भी पक्ष को मिले, सीएम की कुर्सी के लिए राजनीतिक उलटफेर के लिए स्टेज भी तैयार हो गया है। दोनों गुटों में सीएम पोस्ट के लिए कई दावेदार हैं और चुनावी भाषणों में भी इसके संकेत मिलने लगे हैं। गृह मंत्री अमित शाह में एक रैली में कहा कि महाराष्ट्र को नरेंद्र मोदी और फड़णवीस पर भरोसा है।
सीएम पोस्ट चाहती है कांग्रेस, मगर उद्धव ठाकरे ने दावा नहीं छोड़ा
2019 में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर ही बीजेपी और शिवसेना के बीच विवाद शुरू हुआ, फिर राज्य में नए सियासी समीकरण बने थे। उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ 25 साल पुराना रिश्ता खत्म कर लिया था। महाराष्ट्र चुनाव के ऐलान से पहले ही महाविकास अघाड़ी में सीएम की कुर्सी को लेकर सिरफुटौव्वल शुरू हुआ था। उद्धव ठाकरे लगातार सीएम फेस को लेकर गठबंधन में सवाल उठाते रहे और कांग्रेस इसे दरकिनार करती रही। शरद पवार ने भी इस मुद्दे को चुनाव परिणाम तक के लिए टाल दिया। चर्चा है कि अगर नतीजे उलट-पुलट हुए तो वह सुप्रिया सुले का नाम आगे कर सकते हैं।
कांग्रेस ने दिया फॉर्मूला, ज्यादा विधायक वाले बनेंगे सीएम
कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने इरादा साफ कर दिया कि वह उद्धव ठाकरे को वॉकओवर नहीं देंगे। पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने एक बयान में बताया कि ज्यादा सीटें जीतने वाले का सीएम बनेगा। लोकसभा चुनाव में 13 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस की दावेदारी और भी मजबूत हो गई है। चुनाव के दौरान उद्धव ठाकरे इस मसले पर चुप हैं, मगर उन्होंने अभी तक सीएम पद पर अपना दावा नहीं छोड़ा है। अघाड़ी में कांग्रेस 101, शरद पवार की एनसीपी 86 और उद्धव ठाकरे की सेना 95 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
अब दोबारा डिप्टी नहीं बनेंगे देवेंद्र फड़णवीस
महायुति में भी मुख्यमंत्री की कुर्सी भी पार्टियों को घनचक्कर बनाने वाली है। महायुति के नेता सीएम पद को लेकर बोलने से बच रहे हैं, मगर गठबंधन में सीएम पद के तीन दावेदार हैं। एनसीपी प्रमुख अजित पवार खुले तौर पर सीएम बनने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। सीएम बनने के बाद डिप्टी सीएम बनने वाले देवेंद्र फड़णवीस भी बता चुके हैं कि वह एकनाथ शिंदे के डिप्टी बनने के लिए तैयार नहीं थे। पार्टी के आदेश पर उन्होंने सरकार संभालने के लिए अंतिम समय में जूनियर पोस्ट को कबूल किया था। चुनाव के बाद बीजेपी यह रवायत शिंदे के लिए दोहरा सकती है। देवेंद्र फड़णवीस के लिए बीजेपी के शीर्ष नेता और आरएसएस खुले तौर पर बैटिंग कर रहा है।
रेस में ही एकनाथ शिंदे, लोकप्रियता में फड़णवीस से आगे
एकनाथ शिंदे 2022 में ही मुख्यमंत्री बनने के ख्वाहिशमंद थे और अब ऐसा नहीं माना जा सकता है कि वह खुद को रेस से बाहर कर लेंगे। लोकप्रियता के सर्वेक्षणों में वह फड़णवीस और उद्धव से भी आगे हैं। लोकसभा चुनाव में उनका स्ट्राइक रेट बीजेपी से बेहतर था। महायुति में भी सीएम का पद चुनाव नतीजों पर टिका है। बीजेपी सर्वाधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। उसके 11 नेता एनसीपी और शिवसेना से चुनाव लड़ रहे हैं। शिंदेसेना 81 और अजित पवार की पार्टी एनसीपी 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बीजेपी खुले तौर पर देवेंद्र फड़णवीस के नाम पर वोट मांग रही है।
चाचा भतीजा मिलकर करेंगे खेल या फिर बनेंगे किंगमेकर?
महाविकास अघाड़ी या महायुति की सरकार शरद पवार और अजित पवार के परफॉर्मेंस पर टिकी है। चाचा-भतीजे के स्ट्राइक रेट दोनों को किंगमेकर बना सकती है। शरद पवार अपने गठबंधन में 86 और अजित पवार 59 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। अगर दोनों 50 पर्सेंट के स्ट्राइक रेट से चुनाव जीतते हैं तो उनकी सीटों की संख्या 70 के करीब पहुंच सकती है, इसके बाद कोई और खेल हो जाए, इसकी संभावना भी खत्म नहीं हुई है। अजित पवार बड़े सधे हुए अंदाज में चुनाव लड़ रहे हैं। वह बीजेपी के हिंदुत्व से किनारा भी कर रहे हैं । अभी तक उन्होंने और उनकी पार्टी ने शरद पवार के खिलाफ सीधा अटैक नहीं किया है। अडाणी विवाद में बयान देकर उन्होंने साफ कर दिया कि उन्होंने शरद पवार की इच्छा के मुताबिक ही पहली बार बीजेपी की 80 घंटे की सरकार में डिप्टी सीएम बने थे। इन दोनों में से एक किंगमेकर तो बनेगा ही, इतना तो तय है।