What is BRICS: क्या है BRICS, G-7 के मुकाबले कितनी ताकत, भारत के लिए क्यों इतना अहम?
विश्व व्यापार में 16 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी के साथ BRICS दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण समूह है, जिसमें विश्व की 41 प्रतिशत आबादी शामिल है।
New Delhi: ब्रिक्स (BRICS) को मूल रूप से ब्रिक के नाम से जाना जाता है, और इसकी स्थापना 2006 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने की थी। 2010 में दक्षिण अफ्रीका भी इस समूह में शामिल हो गया जिसके बाद यह ब्रिक्स बन गया। इस समूह का लक्ष्य प्रभावशाली विकासशील देशों को एकजुट करना और उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में अमीर देशों के प्रभुत्व को चुनौती देना है। विकसित देशों के संगठन जी-7 के मुकाबले इसकी पहचान विकासशील देशों के मजबूत गठबंधन के रूप में हो रही है।
ब्रिक्स की कितनी ताकत?
विश्व व्यापार में 16 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी के साथ ब्रिक्स दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण समूह है, जिसमें विश्व की 41 प्रतिशत आबादी शामिल है। यह विश्व जीडीपी का 24 प्रतिशत और विश्व व्यापार में 16 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखता है। ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल करने के साथ ही ब्रिक्स वैश्विक कच्चे तेल उत्पादन में 44% का योगदान देता है।
यह गठबंधन आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे वैश्विक संस्थानों में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के अधिक प्रतिनिधित्व पर जोर देता है। 2014 में ब्रिक्स ने न्यू डेवलपमेंट बैंक की स्थापना की, जिसने 2022 तक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में लगभग 32 बिलियन डॉलर का वित्त पोषण किया है। चीन ब्रिक्स के भीतर, विशेष रूप से अफ्रीका में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहता है, जबकि रूस इस समूह को पश्चिमी प्रतिबंधों का मुकाबला करने के एक तरीके के रूप में देखता है। हालांकि ब्रिक्स मुद्रा बनाने की अटकलें हैं, और यह एक बड़ी चुनौती भी है।
ब्रिक्स 2024 भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण?
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, जहां उनकी मौजूदगी अक्सर दुनिया का ध्यान खींचती है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ सीधी बैठक की संभावना है। भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद 2024 में यह पीएम मोदी की दूसरी रूस यात्रा है। उनके मजबूत व्यक्तिगत संबंधों के कारण ऐसी अटकलें हैं कि पीएम मोदी यूक्रेन संघर्ष पर पुतिन को सलाह दे सकते हैं, हालांकि यह भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं हो सकती है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा और रूस के साथ उसके रक्षा संबंधों की चर्चा प्रमुख मुद्दा होगी।
एक अन्य अहम विषय वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहा तनाव है, जिसमें दोनों देशों के बीच अहम समझौता हुआ है। इस कदम के बाद भारत-चीन के संबंधों में सुधार आने की उम्मीद दिखाई दे रही है। हालांकि, इस मौके पर पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित मुलाकात का कोई पुष्ट संकेत नहीं दिखा है। अगल मुलाकात होती है तो मुख्य मुद्दों में व्यापार और आर्थिक सहयोग शामिल होने की संभावना है, खासकर जब चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है।
ब्रिक्स में कितने सदस्य?
ब्रिक्स गठबंधन में वर्तमान में 10 देश शामिल हैं: ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात। 1 जनवरी, 2024 तक पांच और देशों- मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को भी इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था।
क्या ब्रिक्स अमेरिकी डॉलर के लिए खतरा?
ब्रिक्स में नई मुद्रा का प्रस्ताव करके या अपनी मुद्रा बनाकर अमेरिकी डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देने की क्षमता है। हालांकि, डॉलर जैसी स्थिर और व्यापक रूप से स्वीकृत मुद्रा की जगह ले पाना एक कठिन चुनौती है, क्योंकि इसके लिए एक मजबूत अर्थव्यवस्था चाहिए जो अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा करने की ताकत रखती हो।