नई दिल्ली

Vajpayee’s 100th Birthday: अटल बिहारी वाजपेयी के 10 फैसले जो बदल गए भारत की तस्वीर

Spread the love

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है। उनके कार्यकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में संचार क्रांति, सर्व शिक्षा अभियान, लाहौर बस सेवा, परमाणु परीक्षण, स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना, निजीकरण, पोटा कानून, संविधान समीक्षा आयोग, जातिवार जनगणना को रद्द करना और चंद्रयान-1 की घोषणा शामिल हैं।

New Delhi: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है। वाजपेयी देश के एक ऐसे नेता थे, जिनके व्यवहार और कामों की सराहना विपक्षी दलों के नेता भी करते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान भारत को एक नई दिशा मिली। वाजपेयी का कार्यकाल शिक्षा, संचार, विदेश नीति और देश के विकास के मद्देनजर काफी अहम रहा।

वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे, पहले 13 दिन तक, फिर 13 महीने तक और उसके बाद 1999 से 2004 तक का कार्यकाल उन्होंने पूरा किया। इस दौरान उन्होंने ये साबित किया कि देश में गठबंधन सरकारों को भी सफलता से चलाया जा सकता है। आइए जानते हैं वाजपेयी के 10 ऐसे काम जिनके लिए आने वाली पीढ़ियां उन्हें हमेशा याद करेंगी।

1- अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में दूरसंचार क्षेत्र में क्रांति ला दी। उन्होंने BSNL का एकाधिकार खत्म किया। नई टेलिकॉम नीति लागू की। इससे आम लोगों को सस्ता फोन कॉल करने का मौका मिला। हालांकि राजीव गांधी को दूरसंचार क्रांति का जनक माना जाता है, लेकिन आम लोगों तक इसे पहुंचाने का श्रेय अटल जी को जाता है।

2-पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बच्चों की शिक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाया था। उन्होंने 2000-01 में सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया। इस अभियान का मकसद 6 से 14 साल के सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना था। वाजपेयी जी ने बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए ये महत्वपूर्ण योजना लागू की।

3- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू की थी। यह सेवा फरवरी 1999 में शुरू हुई। वाजपेयी जी खुद पहली बस से लाहौर गए थे। वहां उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने ‘लाहौर दस्तावेज’ पर हस्ताक्षर किए। वाजपेयी जी हमेशा पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते चाहते थे। इस बस सेवा की शुरुआत उनके इसी विचार को दर्शाती है। दिल्ली-लाहौर बस सेवा दोनों देशों के लोगों को करीब लाने का एक प्रयास था।

4- वाजपेयी का मानना था कि देश की सुरक्षा सबसे जरूरी है। इसीलिए मई 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया। यह 1974 के बाद भारत का पहला परमाणु परीक्षण था। अटल जी के नेतृत्व में भारत ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया। उनका मानना था कि हमें अपनी सुरक्षा का पूरा हक है।

5- स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना (Connecting India) का श्रेय भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है। उन्होंने देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए सड़कों का जाल बिछाने का अहम फैसला लिया था, जिसे स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना नाम दिया गया था। उन्होंने चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना लागू की। जिसका लाभ आज पूरे देश को मिल रहा है।

6- अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश में निजीकरण को बढ़ावा दिया था। वाजपेयी ने 1999 में अपनी सरकार में विनिवेश मंत्रालय के तौर पर एक अनोखा मंत्रालय का गठन किया था। इसके मंत्री अरुण शौरी बनाए गए थे। शौरी के मंत्रालय ने वाजपेयी जी के नेतृत्व में भारत एल्यूमिनियम कंपनी (बाल्को), हिंदुस्तान ज़िंक, इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड और विदेश संचार निगम लिमिटेड जैसी सरकारी कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू की थी।

7- 13 दिसंबर, 2001 को आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर हमला कर दिया। ये भारतीय संसदीय इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ही देश के प्रधानमंत्री थे। भयावह आतंकी हमले के बाद वाजपेयी सरकार ने पोटा कानून बनाया, ये बेहद सख्त आतंकवाद निरोधी कानून था, जिसे 1995 के टाडा कानून के मुक़ाबले बेहद कड़ा माना गया था।

8- संविधान समीक्षा आयोग का गठन भी अटल के कार्यकाल में ही हुआ था। वाजपेयी सरकार ने संविधान में संशोधन की जरूरत पर विचार करने के लिए फरवरी, 2000 को संविधान समीक्षा के राष्ट्रीय आयोग का गठन किया था। इस आयोग का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ था, जिसके बाद वाजपेयी सरकार संविधान को संशोधित करने के काम को आगे नहीं बढ़ा पाई।

9- साल 1999 एचडी देवगौड़ा सरकार ने जातिवार जनगणना कराने को मंजूरी दे दी थी जिसके चलते 2001 में जातिगत जनगणना होनी थी। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इस फैसले को पलट दिया। जिसके चलते जातिवार जनगणना नहीं हो पाई।

10- 15 अगस्त 2003 को लाल किले से अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ‘चंद्रयान 1’ का ऐलान किया। यह भारत का पहला चांद मिशन था। इसरो ने इसे 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया। वाजपेयी ने स्वतंत्रता दिवस पर यह बड़ी घोषणा की।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button