नई दिल्ली

Supreme Court: वर्शिप एक्ट, तीन तलाक, मैरिटल रेप; सुप्रीम कोर्ट साल 2025 में करेगा अहम मामलों में सुनवाई

Spread the love

सुप्रीम कोर्ट 2025 में उपासना स्थल अधिनियम, मैरिटल रेप, तीन तलाक, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, दिल्ली सेवाएं व मनी लॉन्ड्रिंग पर सुनवाई करेगा।

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट आने वाले साल 2025 में कई अहम मामलों में सुनवाई करेगा। इनके दूरगामी सामाजिक, धार्मिक, पारिवारिक और राजनीतिक असर देखने को मिल सकते हैं। इनमें कई मामले खासे सुर्खियों में रहे हैं और इन पर सुप्रीम फैसले का इंतजार है:

उपासना स्थल ऐक्ट का परीक्षण
सुप्रीम कोर्ट प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनेगा। भारत के चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की स्पेशल बेंच सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई में CJI की अगुआई वाली बेंच ने देशभर में इससे संबंधित तमाम लंबित केसों में आदेश पारित करने और नए वाद दर्ज करने पर रोक लगा दी थी।

यह कानून 15 अगस्त 1947 की स्थिति के अनुसार धार्मिक ढांचों की यथास्थिति बनाए रखने और उनके परिवर्तन के लिए कानूनी कार्यवाही पर रोक लगाता है। सरकार अभी तक इस मामले में अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।

मेरिटल रेप अपराध होगा या नहीं?
मैरिटल रेप मामले में पति को अपवाद में रखे जाने के खिलाफ दाखिल अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनेगा। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि वह IPC और ‌BNS में रेप के मामले में पति को अपवाद की श्रेणी में रखे जाने के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को परखेगा। IPC की धारा-375 के अपवाद 2 और BNS की धारा-63 में प्रा‌वधान है कि अगर पत्नी बालिग है तो उसके साथ पति का जबरन संबंध भी रेप नहीं होगा।

तीन तलाक के खिलाफ कानून को चुनौती
शीर्ष अदालत ने 2017 में तीन तलाक की प्रथा को खारिज कर दिया था। बावजूद इसके मुस्लिम समुदाय के बीच यह प्रथा बदस्तूर कई जगह जारी थी। सरकार ने इसे रोकने के लिए कानून बनाया जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट में केंद्र ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर-संवैधानिक करार दिया इसके बावजूद इसकी संख्या कम करने के लिए यह प्रभावी नहीं हो पाया था। इसके बाद पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की अधिकारों की रक्षा के लिए कानून पारित किया गया।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम नजर
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनाए गए कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है। इस पर अहम फैसला होना है। कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कह रखा है। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इनकी नियुक्ति के लिए बनाए गए नए कानून को चुनौती गई है। चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड इलेक्शन कमिश्नर (अपाइंटमेंट, कंडिशन ऑफ सर्विस एंड टर्म ऑफ ऑफिस) ऐक्ट 2023 को चुनौती दी गई है।

दिल्ली में सर्विसेज का मामला
दिल्ली में सर्विसेज से जुड़े केंद्र सरकार के कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई करनी है। दरअसल, सरकार ने कानून बनाकर सर्विसेज का कंट्रोल एलजी के हाथ में दिया था। इस कानून को दिल्ली सरकार ने चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई 2024 को मामले को पांच जजों की संवैधानिक बेंच को रेफर कर दिया था।

मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कानून का परीक्षण
मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के प्रावधानों को चुनौती देते हुए दाखिल रिव्यू पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट नए साल में सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने PMLA ऐक्ट के प्रावधान को चुनौती वाली याचिका 2022 में खारिज कर दी थी। इसके बाद रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई थी। कोर्ट ने कहा था कि आरोपी की गिरफ्तारी के वक्त उसे ECIR (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) देने की अनिवार्यता नहीं है और साथ ही आरोपी पर निर्दोष साबित करने का बोझ डाले जाने के प्रावधान को दोबारा देखने की जरूरत है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button