मुंबई

R Chidambaram Passed Away: डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का मुंबई में निधन, पोखरण परमाणु परिक्षण में थी बड़ी भूमिका

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पोखरण परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का 88 वर्ष की उम्र में मुंबई में निधन।

Mumbai: पोखरण परमाणु परिक्षण में अहम भूमिका निभाने वाले देश के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. राजगोपाल चिदंबरम का शनिवार को निधन हो गया है। चिदंबरम ने शनिवार तड़के तीन बजकर 20 मिनट पर मुंबई के जसलोक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 88 साल के थे।

चिदंबरम का जन्म 11 नवंबर, 1936 को चेन्नई में हुआ था। उन्हें भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम में अहम भूमिका के लिए जाना जाता है। उन्होंने पोखरण-I (1975) और पोखरण-II (1998) के परमाणु परिक्षणों में अहम भूमिका निभाई थी।

बेंगलुरु से की पढ़ाई
चिदंबरम चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के पूर्व छात्र थे। चिदंबरम ने भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (2001-2018), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक (1990-1993), परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के सचिव, डीएई (1993-2000) समेत कई प्रतिष्ठित पदों पर सेवाएं दीं।

कौन थे आर चिंदबरम
आर चिदंबरम को साल 1975 और साल 1999 में पद्म श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। पोखरण परमाणु परीक्षणों के मुख्य वास्तुकार ने 1974 में बॉम्बे से पोखरण तक प्लूटोनियम ले जाने वाले सैन्य ट्रक में यात्रा की। इंडिया राइजिंग मेमोयर ऑफ ए साइंटिस्ट में उन्होंने इसका खुलासा किया कि यह कार्यक्रम 1974 और 1998 के बीच गुप्त रखा गया था।

महान वैज्ञानिकों में से एक थे
चिदंबरम ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के निदेशक, परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव के तौर पर काम किया है। इसके अलावा वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी रहे थे।

आंध्र प्रदेश के सीएम ने जताया शोक
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने वैज्ञानिक आर चिदंबरम के निधन पर दु:ख जताया। उन्होंने एक्स अकाउंट पर एक भावुक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग का नेतृत्व करने वाले और हथियारों के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले प्रख्यात परमाणु वैज्ञानिक राजगोपाला चिदंबरम के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। देश द्वारा किए गए दो परमाणु परीक्षणों में चिदंबरम की भूमिका यादगार थी। मैं उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।’

सुपर कंप्यूटर के स्वदेशी विकास की रखी नींव
चिदंबरम ने भारत में सुपर कंप्यूटर के स्वदेशी विकास की पहल करने तथा राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क की संकल्पना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस नेटवर्क ने देश भर के अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों को जोड़ा। राष्ट्र के विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के प्रबल समर्थक चिदंबरम ने ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्य समूह और ‘सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन एंड सिक्योरिटी’ जैसे कार्यक्रम स्थापित किए तथा भारत के वैज्ञानिक प्रयासों में ‘‘सुसंगत तालमेल’’ पर जोर दिया।

डीई ने दी श्रद्धांजलि
चिदंबरम को 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें कई विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली थी और वह प्रतिष्ठित भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय विज्ञान अकादमियों के शोधार्थी थे। डीएई के सचिव अजीत कुमार मोहंती ने चिदंबरम के निधन को एक अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा, ‘डॉ. चिदंबरम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी थे, जिनके योगदान ने भारत की परमाणु क्षमता और रणनीतिक आत्मनिर्भरता को बढ़ाया। उनका निधन वैज्ञानिक समुदाय और राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। दुख की इस घड़ी में हम उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।’

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