Maharashtra Politics: 9 दिन बाद भी नहीं बना सीएम, राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लागू होता? आदित्य ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर भी कसा तंज
महाविकास अघाड़ी के नेता आदित्य ठाकरे ने महाराष्ट्र में सरकार गठन की देरी के लिए महायुति के नेताओं पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अगर यह स्थिति विपक्षी दलों के साथ होती तो अब तक राष्ट्रपति शासन लग चुका होता। आदित्य ठाकरे ने बीजेपी की ओर से शपथ ग्रहण की डेट घोषित करने पर भी सवाल उठाए हैं।
Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे के एक सप्ताह से अधिक समय बीतने के बाद भी मुख्यमंत्री की शपथ नहीं होने पर आदित्य ठाकरे ने तंज कसा है। उन्होंने एक्स पर किए ट्वीट में कहा कि रिजल्ट आने के बाद लंबे समय तक सरकार नहीं बनाना महाराष्ट्र का अपमान है। उन्होंने 5 नवंबर की शपथ घोषित करने पर भी आपत्ति जताई। आदित्य ठाकरे ने लिखा कि बिना सरकार गठन का दावा किए कोई पार्टी शपथ ग्रहण की डेट का ऐलान कैसे कर सकती है। उन्होंने कहा कि अगर यह स्थिति विपक्षी दलों के साथ होती तो अब तब राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका होता। ऐसा लगता है कि नियम-कानून विपक्षी दलों पर ही लागू होते हैं।
यूबीटी नेता लगातार कर रहे हैं महायुति की आलोचना
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम 23 नवंबर को आया, तब से ही नई सरकार बनाने के लिए महायुति में रस्साकशी चल रही है। मुंबई से दिल्ली तक बैठकों का दौर जारी है, मगर सीएम कौन होगा?, यह तय नहीं हो पाया है। विपक्षी दलों ने इस हालात पर चुटकी ली है। यूबीटी नेता संजय राउत ने पहले ही शिवसेना और एनसीपी नेताओं को बीजेपी का गुलाम बता चुके हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में अमित शाह और नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र का सीएम तय करेंगे।
हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने बताया है कि पांच दिसंबर को नई सरकार मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेगी। आधिकारिक तौर से देवेंद्र फडणवीस की नाम की घोषणा नहीं हुई है, मगर उनका मुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है।
चंद्रमा की कला की तरह छुट्टी पर हैं सीएम एकनाथ शिंदे
इस बीच शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने सरकार बनने में देरी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में न सिर्फ महायुति, चुनाव आयोग और राज्यपाल पर निशाना साधा है, बल्कि निवर्तमान सीएम एकनाथ शिंदे की भी चुटकी है। एक्स पर जूनियर ठाकरे ने लिखा है कि राज्यपाल को बिना संख्याबल दिखाए एकतरफा शपथ ग्रहण की तिथि घोषित करना पूरी तरह अराजकता है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री चंद्रमा की कला के अनुसार एक छोटी छुट्टी पर हैं। महाराष्ट्र उन लोगों के लिए कोई प्राथमिकता नहीं है जो सरकार बना सकते हैं। वह दिल्ली यात्रा का आनंद ले रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि महाराष्ट्र में क्या अब तक राष्ट्रपति शासन नहीं हो जाना चाहिए था? क्या ऐसा नहीं होता, अगर विपक्ष के पास संख्या बल होता औरफैसला लंबित होता? खैर, जो भी अंततः शपथ लेगा, उसे हमारी बधाई, ईसीआई के जनादेश के लिए धन्यवाद।