मुंबई

Maharashtra Elections: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में फैक्टर बनते मनोज जरांगे, महायुति या एमवीए, जानें कौन हैं उनके निशाने पर

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मनोज जरांगे और उनके समर्थक न तो महाविकास आघाडी के खिलाफ बोलते हैं और न ही सीएम एकनाथ शिंदे और शिवसेना (UBT) के चीफ उद्धव ठाकरे को निशाना बनाते हैं। ऐसे में उनके निशाने के जद में बीजेपी है।

Mumbai: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मराठा समुदाय के लिए ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं। जरांगे इन चुनावों में अहम फैक्टर बन चुके हैं। वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन उनका दखल काफी है। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन भले ही लगभग दो साल पुराना हो, लेकिन इस चुनाव में भी यह मुद्दा जमीन पर दिखाई दे रहा है। खासकर राज्य के मराठवाड़ा इलाके और पश्चिम महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण जमीन पर अंडरकरंट के तौर पर एक बड़ा मुद्दा है, जहां मराठा आबादी की ठीक-ठाक तादाद में है।

इन दोनों ही इलाकों में जरांगे फैक्टर काम करता दिख रहा है। इस इलाके में मराठा आरक्षण का मुद्दा इसलिए भी अहम है, क्योंकि ये दोनों इलाके राजनीतिक रूप से भी काफी सक्रिय हैं। इन इलाकों ने प्रदेश को नौ सीएम दिए हैं, जिनमें से आठ मराठा और एक दलित सीएम रहे हैं। कहा जाता है कि इसी को देखते हुए जरांगे ने मराठा आरक्षण से जुड़े आंदोलन के लिए इन दोनों क्षेत्रों अपनी कर्मभूमि बनाया। चर्चा है कि जरांगे आंदोलन के पीछे कहीं न कहीं मराठा क्षत्रप और महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले NCP(SP) शरद पवार की भी खास भूमिका रही है।

पहले थी ये चर्चा
हालांकि महाराष्ट्र असेंबली चुनाव से पहले चर्चा तेज थी कि मनोज जरांगे भी तमाम सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। मगर, चुनाव से ऐन पहले उन्होंने अपने कदम वापस ले लिए। कहा जाता है कि चुनाव में अपने उम्मीदवार न उतारने की सलाह भी उन्हें सीनियर पवार की ओर से मिली थी। माना जा रहा है कि इसका फायदा आघाडी गठबंधन को होगा। अगर जरांगे अपने उम्मीदवार उतारते तो मराठा वोटों के बंटने का खतरा रहता।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में इस समीकरण की एक झलक देखने को मिली, जब इलाके की आठ सीटों में सात महाविकास आघाडी ने जीतीं और BJP को एक पर ही संतोष करना पड़ा। उनमें से तीन-तीन कांग्रेस, शिवसेना (UBT), एक NCP (SP) और एक BJP को मिली। 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP को चार, शिवसेना को 3 और ओवैसी की पार्टी को एक सीट मिली थी। कहा जा रहा है कि अगर मौजूदा चुनाव भी उसी दिशा में जाता है तो महायुति के लिए बड़ी दिक्कत हो जाएगी।

जरांगे के निशाने पर कौन?
प्रदेश में मराठाओं की आबादी लगभग 28 फीसदी है, इसलिए इस समुदाय की अनदेखी का जोखिम कोई भी दल नहीं उठा सकता। वहीं कुछ इलाकों में उनकी आबादी ऐसी है कि यह चुनावी सीटों के नतीजे तय करते हैं। मराठवाड़ा में 46 विधानसभा सीटें हैं, जबकि पश्चिमी महाराष्ट्र में 70 सीटें हैं। इन दोनों ही इलाकों में जरांगे का प्रभाव देखते हुए सभी गठबंधन के लिए जरांगे फैक्टर अहम हो गया है। लोकसभा चुनाव में महाविकास आघाडी के बेहतर प्रदर्शन के पीछे उसे दलित, मुस्लिम और मराठाओं को साथ मिलना बताया जा रहा है। इसी को देखते हुए BJP ने कटेंगे तो बंटेंगे का नारा देकर हिंदू समाज के तमाम जातियों में होते बिखराव को रोकने की कोशिश की है।

मराठाओं के साथ-साथ किसानों का मुद्दा भी उठा रहे
दरअसल, मराठा समुदाय ने देखा है कि कांग्रेस-NCP के समय में मराठाओं का राजनैतिक वर्चस्व रहा है, लेकिन ‌BJP-शिवसेना के बाद उनके उस राजनीतिक दबदबे में कमी आनी शुरू हुई। जरांगे मराठाओं के साथ-साथ किसानों का मुद्दा भी उठा रहे हैं, क्योंकि मराठा समुदाय से आने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। खासकर पानी की कमी से जूझते मराठवाड़ा में मराठा किसान भी आर्थिक तंगी और बदहाली में गुजर कर रहे हैं, इसलिए जरांगे चुनाव में मराठा आरक्षण के साथ-साथ किसानों की समस्याओं, पानी की कमी जैसे स्थानीय मुद्दों को तरजीह दे रहे हैं।

कई सीटों पर बीजेपी ने मराठाओं को टिकट दिए
हालांकि कई सीटों पर बीजेपी ने भी मराठाओं को टिकट दिए हैं, लेकिन जरांगे मराठाओं को BJP खासकर पूर्व सीएम देवेंद्र फड़णवीस के खिलाफ लामबंद कर रहे हैं। वहीं जरांगे और उनके समर्थक न तो महाविकास आघाडी के खिलाफ बोलते हैं और न ही सीएम एकनाथ शिंदे और शिवसेना (UBT) के चीफ उद्धव ठाकरे को निशाना बनाते हैं। ऐसे में उनके निशाना के जद में BJP है।

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