मुंबई

Maharashtra: उत्तर भारतीय ‘बटेंगे तो पिटेंगे’…चुनाव से पहले मुंबई की सड़कों पर लगे पोस्टर

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले ही राज्य की सियासत में गर्मागर्मी बढ़ती जा रही है. शुक्रवार की रात मुंबई के कई इलाकों में उत्तर भारतीय बटेंगे तो पिटेंगे के पोस्टर लगाए गए. इन पोस्टरों में उत्तर भारतीयों को सावधान रहने की नसीहत मिली.

Mumbai: जैसे-जैसे महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, राज्य की सियासत में गर्मागर्मी बढ़ती जा रही है. राजनीतिक पार्टियां लगातार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं. इसी बीच, मुंबई में काम करने वाले उत्तर भारतीयों को लेकर एक नया पोस्टर सामने आया है. बीती रात मुंबई के कई इलाकों में उत्तर भारतीय बटेंगे तो पिटेंगे के पोस्टर लगाए गए. इन पोस्टरों में उत्तर भारतीयों को सावधान रहने की नसीहत दी गई.

2008 में भी उत्तर भारतीयों पर राज ठाकरे के समर्थकों द्वारा हिंसा का आरोप लगा था. उस दौरान महाराष्ट्र में काम कर रहे कई उत्तर भारतीयों पर हमले हुए थे. अब उत्तर प्रदेश में भाजपा को बहुमत दिलाने वाले उत्तर भारतीयों में राज ठाकरे से भाजपा की बढ़ती नजदीकी को लेकर नाराजगी जाहिर की जा रही है.

बटेंगे तो कटेंगे की तर्ज पर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा की एक जनसभा में “बटेंगे तो कटेंगे” का नारा दिया. मुंबई की सड़कों पर लगा पोस्टर उनके इसी नारे के तर्ज पर है. सीएम योगी के नारे पर देश भर में राजनीतिक पार्टियों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा के इस नारे पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर जमकर हमला बोला. उन्होंने लिखा “उनका नकारात्मक नारा उनकी निराशा और नाकामी का प्रतीक है. जैसे उनका नजरिया है, वैसा ही उनका नारा है. इस नारे ने यह भी साबित कर दिया है कि जो गिनती के 10% मतदाता उनके साथ बचे हैं, वो भी अब खिसकने के कगार पर हैं. इसलिए वे डराकर इन्हें एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होगा.”

कब है महाराष्ट्र में चुनाव?

महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं, सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 145 सीटों की जरूरत होती है. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 105 शिवसेना को 56 एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. इसके बाद शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी. हालांकि यह गठबंधन सरकार अधिक समय तक नहीं चल सकी. लेकिन जून 2022 में शिवसेना में आंतरिक कलह के चलते एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के एक गुट के साथ अलग हो गए. वहीं अजित पवार ने एनसीपी के एक गुट को अपने साथ ले लिया और दोनों ने भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बना ली.

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