मुंबई

Dharavi Redevelopment Plan: धारावी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर अडानी ग्रुप को राहत, टेंडर देने के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट ने दाखिल याचिका को किया खारिज

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में धारावी झुग्गी बस्ती पुनर्विकास परियोजना को अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को दिए जाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार के टेंडर अडानी समूह को देने का निर्णय मनमानी भरा नहीं है।

Mumbai: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में धारावी झुग्गी बस्ती पुनर्विकास परियोजना को अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को दिए जाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार के टेंडर अडानी समूह को देने का निर्णय मनमानी भरा नहीं है। इसमें कुछ भी अनुचित या विकृत नहीं है।

किसने दायर की थी याचिका?

दरअसल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित सेकलिंक टेक्नॉलॉजी कॉर्पोरेशन ने यह याचिका दायर की थी। इसमें अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को परियोजना देने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कहा कि याचिका में कोई उचित आधार नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाता है। हाईकोर्ट ने पाया कि याचिका के समर्थन में दिए गए आधारों में कोई औचित्य नहीं है तदनुसार, प्राधिकारियों की ओर से की गई कार्रवाई को चुनौती (जिसके तहत पहले की निविदा प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया था और नई निविदा प्रक्रिया पेश की गई) विफल रही।

अडानी ग्रुप में लगाई थी सबसे अधिक बोली
अडानी समूह ने 259 हेक्टेयर धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए सबसे अधिक बोली लगाई थी। 2022 की निविदा प्रक्रिया में 5,069 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ उसने इसे हासिल किया था। इससे पहले 2018 में जारी पहली निविदा में सेकलिंक टेक्नॉलॉजी कॉर्पोरेशन 7,200 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी। सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन ने महाराष्ट्र सरकार के 2018 की निविदा को रद्द करने और उसके बाद 2022 में अडानी को निविदा देने के फैसले को चुनौती दी थी।

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