Constitution Debate: संसद में संविधान पर बहस के लिए सरकार का दिग्गजों को उतारने का प्लान…अमित शाह करेंगे शुरुआत, पीएम मोदी का आखिर में जवाब
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संसद में संविधान पर दो दिवसीय बहस होगी। भाजपा के शीर्ष नेता इसमें भाग लेंगे। पीएम मोदी लोकसभा में जवाब देंगे। गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में बहस शुरू करेंगे। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी भाग लेंगे। यह बहस 13-14 दिसंबर को लोकसभा और 16-17 दिसंबर को राज्यसभा में होगी।
New Delhi: बीजेपी संविधान पर चर्चा के लिए पूरी तैयारी कर रही है। इस चर्चा में पीएम मोदी भी लोकसभा में हिस्सा लेंगे और जवाब देंगे। यह बहस 13-14 दिसंबर को लोकसभा और 16-17 दिसंबर को राज्यसभा में होगी। बीजेपी का मकसद संविधान पर अपनी प्रतिबद्धता दिखाना और विपक्ष पर हमला करना है। 2024 के चुनाव से पहले विपक्ष ने बीजेपी पर संविधान बदलने के आरोप लगाए थे,जिसका बीजेपी अब जवाब देना चाहती है।
अमित शाह शुरू कर सकते हैं चर्चा
संसद के दोनों सदनों में संविधान पर दो दिनों तक चर्चा होगी। लोकसभा में यह चर्चा 13 और 14 दिसंबर को होगी,जबकि राज्यसभा में 16 और 17 दिसंबर को। इस चर्चा में बीजेपी के सभी बड़े नेता हिस्सा लेंगे। पीएम मोदी लोकसभा में इस चर्चा का जवाब देंगे। अमित शाह राज्यसभा में चर्चा शुरू कर सकते हैं। जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह भी अपने-अपने सदनों में चर्चा में भाग लेंगे। नड्डा राज्यसभा में सदन के नेता हैं,जबकि सिंह लोकसभा में बीजेपी के उपनेता हैं।
बीजेपी देना चाहती है संदेश
बीजेपी अपने सभी बड़े नेताओं को इस चर्चा में शामिल करके यह संदेश देना चाहती है कि वह संविधान के प्रति प्रतिबद्ध है। साथ ही,पार्टी संसद को सुचारू रूप से चलाना चाहती है और विपक्ष के आरोपों का जवाब देना चाहती है। बीजेपी चाहती है कि इस मुद्दे पर लोगों की राय उसके पक्ष में हो।
लोकसभा चुनाव के बाद से बीजेपी हर मौके पर संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने की कोशिश कर रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष, खासकर कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि अगर वह सत्ता में आई तो संविधान में बदलाव करेगी। इस आरोप का जवाब देने के लिए बीजेपी ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया। यह दिन आपातकाल की बरसी के रूप में मनाया जाता है।
संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में संस्कृति, पर्यटन, कानून, संसदीय कार्य और सामाजिक न्याय सहित चार केंद्रीय मंत्रालय शामिल थे। लोकसभा चुनाव के बाद से, संविधान पर चर्चा राजनीतिक बहस का एक नियमित हिस्सा बन गई है। सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दल इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं। बीजेपी इस बहस के जरिए इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहती है और जनता का समर्थन हासिल करना चाहती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में इस बहस का क्या नतीजा निकलता है।