नई दिल्ली

Congress Targets Pm Modi: भारत के लोग होप में जी रहे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाइप बनाने में लगे… महंगाई और आर्थिक हालात पर कांग्रेस का केंद्र पर निशाना

Spread the love

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भारत के विकास में मंदी चल रही है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। जयराम रमेश ने जीडीपी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि स्थिर मजदूरी के कारण निजी निवेश सुस्त है और भारतीयों की क्रय शक्ति घट रही है।

New Delhi: कांग्रेस ने जीडीपी के आंकड़ों का हवाला देते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि भारत के विकास में मंदी है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि जीडीपी वृद्धि के तिमाही आंकड़ों से पता चलता है कि निजी निवेश सुस्त बना हुआ है और मध्यम और दीर्घकालिक आर्थिक क्षमता तेजी से खत्म हो रही है। उन्होंने कहा कि स्थिति का मूल कारण श्रमिकों की मजदूरी में इजाफा नहीं होना है।

‘मंदी के कारणों को नजरअंदाज कर रहे पीएम’

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘जुलाई से सितंबर 2024 के लिए कल शाम जारी किए गए जीडीपी विकास के आंकड़े अनुमान से कहीं अधिक खराब हैं। भारत में 5.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई है और खपत में वृद्धि भी महज 6 प्रतिशत है।’ उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री और उनके ‘चीयरलीडर्स’ जानबूझकर इस मंदी के कारणों को नजरअंदाज कर रहे हैं, लेकिन एक अग्रणी वित्तीय सूचना सेवा कंपनी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च की ‘लेबल डायनामिक्स ऑफ इंडियन स्टेट्स’ नामक एक नई रिपोर्ट इसके वास्तविक कारण का खुलासा करती है, जो कि स्थिर मजदूरी है।

रमेश ने कहा, ‘‘रिपोर्ट में यह दिखाने के लिए पीरियोडिक लेवर फॉर्स सर्वे का इस्तेमाल किया गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर समग्र वास्तविक वेतन (प्रत्येक राज्य में महंगाई के लिए समायोजित करके) वृद्धि पिछले पांच वर्षों में 0.01 प्रतिशत पर स्थिर रही है।’’

‘कम खरीदारी कर पा रहे हैं भारतीय’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘दरअसल हरियाणा, असम और उत्तर प्रदेश के मजदूरों की तो इसी अवधि में वास्तविक मजदूरी में गिरावट देखी गई है। यह कोई अपवाद नहीं है – लगभग हर सबूत और तथ्य इसी विनाशकारी निष्कर्ष की ओर इशारा कर रहे हैं कि औसत भारतीय आज 10 साल पहले की तुलना में कम खरीदारी कर पा रहा है, उनकी क्रय शक्ति घट गई है। यह भारत के विकास में मंदी का अंतिम मूल कारण है।’’

‘कृषि मजदूरों की मजदूरी में गिरावट आई’

उनके अनुसार, श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी 2014-2023 के बीच स्थिर रही है और साल 2019-2024 के बीच वास्तव में इसमें गिरावट ही आई है। रमेश ने कहा कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में खेतिहर मजदूरों की वास्तविक मजदूरी हर साल 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में कृषि मजदूरों की वास्तविक मजदूरी में हर साल 1.3 प्रतिशत की गिरावट आई।

उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई हैरानी नहीं है कि जीडीपी वृद्धि के तिमाही आंकड़ों से पता चलता है कि निजी निवेश सुस्त बना हुआ है। हमारी मध्यम और दीर्घकालिक आर्थिक क्षमता तेजी से खत्म हो रही है। इसका मूल कारण करोड़ों श्रमिकों की स्थिर मजदूरी है।’ रमेश ने सवाल किया कि इस गंभीर हकीकत को कब तक नजरअंदाज किया जाता रहेगा? उन्होंने कहा, ‘भारत के लोग होप में जी रहे हैं जबकि प्रधानमंत्री सिर्फ हाइप (प्रचार-प्रसार) बनाने में लगे हैं।’

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button