नई दिल्ली

Ajmer Dargah: ‘वहां प्रधानमंत्री चादर भिजवाते हैं’, अजमेर दरगाह बनाम मंदिर विवाद में भाजपा-संघ पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी

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असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल किया कि ‘पूजास्थल अधिनियम (Place of Worship Act 1991) का क्या होगा? संभल में आपने देखा क्या हुआ? पांच लोगों की मौत हो गई। ओवैसी ने आरोप लगाया कि इस विवाद से भाजपा और संघ के लोग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

New Delhi: अजमेर दरगाह को लेकर शुरू हुए विवाद पर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा और संघ पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी ने कहा कि ये सब जो हो रहा है, वह देशहित में नहीं है और यह देश को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि इस विवाद से भाजपा और संघ के लोग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। दरअसल अजमेर दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका अजमेर की स्थानीय अदालत में दायर की गई, जिस पर अब अदालत ने दरगाह समिति, सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। 

ओवैसी का सवाल- ये सिलसिला कहां जाकर रुकेगा?
इस मामले को लेकर जब एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि ‘दरगाह शरीफ (अजमेर दरगाह) बीते 800 वर्षों से वहां है। 800 साल में अमीर खुसरो की किताब में बताया गया है कि बादशाह अकबर ने वहां कई चीजें बनवाईं फिर मुगलों के दौर के बाद मराठाओं का दौर आया और जब मराठा कमजोर हो गए तो अंग्रेजों का शासन आया और उस दौरान भी देश के कई राजघरानों ने दरगाह की सेवा की। देश के प्रधानमंत्री हर साल उर्स के मौके पर वहां चादर भिजवाते हैं। हमारे पड़ोसी देशों के वहां आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल आते हैं। आज अचानक से ये हरकत हो रही है, ये सब कहां जाकर रुकेगा?’

ओवैसी ने सवाल किया कि ‘पूजास्थल अधिनियम (Place of Worship Act 1991) का क्या होगा? संभल में आपने देखा क्या हुआ? पांच लोगों की मौत हो गई। अब अजमेर दरगाह मामले में केंद्र सरकार और पुरातत्व विभाग को पार्टी बनाया गया है। अब सरकार क्या कहेगी? ये देश को अस्थिर करने की कोशिश है, ये देशहित में नहीं है। इन लोगों का सीधे या परोक्ष रूप से संबंध भाजपा और संघ से है और इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता।’

‘इससे पूरे देश में आग लग जाएगी’
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने अजमेर दरगाह विवाद पर कहा कि ‘ऐसी चीजों से पूरे देश में आग लग जाएगी। प्रधानमंत्री को इस मामले को देखना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को भी स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। एक पूरे समुदाय को किनारे किया जा रहा है? उनके धर्म स्थानों को भी नहीं छोड़ा जा रहा है? हमें इस देश से निकालना चाहते हैं? कितनी मस्जिदों में आप मंदिरों की तलाश करेंगे? क्या इसकी कोई सीमा है या नहीं? वे पूजा स्थल अधिनियम को को भी नहीं मान रहे हैं। क्या वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए पूरे देश में आग लगाना चाहते हैं? जब आग लगती है तो सबके घर लगती है।’

क्या है पूजास्थल अधिनियम
साल 1991 में लागू किया गया यह पूजास्थल अधिनियम कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। इस कानून का उल्लंघन करने पर जुर्माने और तीन साल तक की जेल का भी प्रावधान है। यह कानून तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव सरकार 1991 में लेकर आई थी। यह कानून तब आया जब बाबरी मस्जिद और अयोध्या का मुद्दा बेहद गर्म था। हालांकि राम जन्मभूमि विवाद को इस कानून से बाहर रखा गया था। 

संभल में भी जारी है विवाद
संभल शहर की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर होने का दावा किया गया है। इस मामले में दाखिल वाद के आधार पर एक टीम रविवार को सर्वे के लिए संभल पहुंची थी, इस दौरान बवाल हो गया और लोगों की भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया। इसके बाद हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। तनाव को देखते हुए संभल में अभी भी इंटरनेट सेवा और स्कूल बंद हैं।

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