मुंबई

Ajit Pawar: ना मांगू मोदी-योगी, ना मांगू अमित शाह’, शरद पवार के खिलाफ टिप्पणी पर पाबंदी, जानिए अजित पवार की रणनीति

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 महाराष्ट्र विधानसभा में अजित पवार फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। एक ओर वह महायुति की स्कीम को लेकर प्रचार कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी के हार्ड लाइन नेताओं को भी अपने इलाकों से दूर कर रखा है। उन्होंने अपने क्षेत्र में बीजेपी नेताओं को हिदायत दे रखी है कि शरद पवार के खिलाफ कोई एक शब्द नहीं बोले, वरना नुकसान हो सकता है।

Mumbai: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनसीपी के नेता अजित पवार महायुति के पार्टनर हैं। उन्होंने 53 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, मगर प्रचार में उन्होंने बीजेपी के स्टार प्रचारकों से दूरी बना रखी है। अजित पवार ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री अमित शाह के साथ पीएम नरेंद्र मोदी रैली एनसीपी उम्मीदवारों के इलाके में कराने से इनकार कर दिया है। इस चुनाव में बीजेपी हार्ड हिंदुत्व के साथ तालमेल बनाना उनके लिए गले की हड्डी बन गई है। योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे के बाद एनसीपी नेता ने उन्हें आउटसाइडर बताया। फिर इन टिप्पणियों से किनारा करते हुए बयान दिया कि हम महायुति के साथ चुनाव लड़ रहे हैं, मगर हमारी विचारधारा अलग है। महाराष्ट्र सांप्रदायिक सद्भाव के लिए प्रतिबद्ध है।

चुनाव के बीच में हार्ड हिंदुत्व से अजित पवार मुश्किल में

बीजेपी के स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ कुल मिलाकर महाराष्ट्र में 44 जनसभाओं को संबोधित करने वाले हैं। धुले और नासिक से पीएम मोदी की सभा हो चुकी है। आदित्यनाथ भी लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं। शिंदे की शिवसेना और बीजेपी के इलाकों में इन नेताओं का चुनावी कार्यक्रम है, मगर अजित पवार की एनसीपी ने इन नेताओं से दूरी बना रखी है। बारामती में फैमिली फाइट है, इसलिए महायुति के नेता प्रचार करने नहीं जाएंगे, अजित पवार की यह दलील तो समझ में आती है। अजित पवार ने एनसीपी के 53 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी नेताओं के प्रचार से दूर ही रखा है।

1 सीटों पर चाचा से सीधे मुकाबला कर रहे हैं अजित पवार

अजित पवार के करीबी नेताओं के अनुसार, अजित पवार बीजेपी के कट्टर हिंदुत्व वाले प्रचार से दूर रहना चाहते हैं। एनसीपी का मुकाबला 41 सीटों पर सीधे शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) से है। इनमें से 20 सीटें शुगर बेल्ट में है, जो शरद पवार का गढ़ माना जाता है। अजित पवार नहीं चाहते हैं कि इन इलाकों में धार्मिक ध्रुवीकरण हो और सेक्युलर वोट एकतरफा हो जाए। योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और पीएम मोदी ने ‘एक हैं तो सेफ हैं’ वाला बयान देकर चुनाव को हिंदुत्व की राह पर डाल दिया है। अगर ऐसा हुआ तो एनसीपी को नुकसान होगा। एक अन्य नेता ने बताया कि पिछले दिनों अमित शाह ने पुणे के कार्यक्रम में शरद पवार को ‘भ्रष्टाचार का सरगना’ बताया था, इसके बाद अजित पवार ने महायुति में शामिल होने के बाद भी बीजेपी के बड़े नेताओं से कन्नी काट ली।

शरद पवार के खिलाफ बीजेपी नेताओं के बयान से नुकसान

पार्टी सूत्रों का कहना है कि अजित पवार ने भले ही जुलाई 2023 में चाचा शरद पवार से बगावत कर ली, मगर वह जानते हैं कि सीनियर पवार के खिलाफ बोल बचन पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है। बीजेपी समेत महायुति के किसी नेता का बयान शरद पवार के प्रति सहानुभूति की लहर पैदा कर सकता है। 2019 के चुनाव में शरद पवार ने सतारा की एक सभा में भीगते हुए भाषण दिया, इसके बाद एनसीपी को 54 सीटों पर जीत मिली। बीजेपी के हाथ से बाजी फिसल गई थी। अजित पवार इस घटना को भूले नहीं हैं। बगावत करने वाले 41 विधायक भी शरद का सम्मान करते हैं। राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने भी कहा था कि हम शरद पवार का बहुत सम्मान करते हैं। निजी तौर पर मैं उनके साथ 35 साल से जुड़ा हुआ हूं। पिछले दिनों एमएलसी सदाभाऊ खेत ने कैंसर की बीमारी के कारण बिगड़े शरद पवार के चेहरे पर टिप्पणी की थी, इसके बाद एनसीपी में काफी प्रतिक्रिया हुई।

बीजेपी नेताओं को हिदायत, शरद पवार पर नहीं करें व्यक्तिगत टिप्पणी

2024 के विधानसभा चुनाव में अजित पवार ने हर विधायक को हिदायत दे रखी है कि कोई शरद पवार के खिलाफ बयानबाजी नहीं करे। साथ ही, एनसीपी नेता यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि 53 विधानसभा सीटों पर बीजेपी के नेता शरद पवार पर व्यक्तिगत हमले नहीं करें। पार्टी के नेताओं का कहना है कि एनसीपी अपने “विकास” एजेंडे पर ध्यान फोकस बनाए रखना चाहती है। अजीत अपने अभियान में महायुति की लड़की बहन योजना को ट्रंप कार्ड की तरह पेश कर रहे हैं। उन्होंने आदित्यनाथ की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज और ज्योतिबा फुले के पदचिन्हों पर चलने वाले महाराष्ट्र की तुलना अन्य राज्यों से नहीं की जा सकती। शिवाजी महाराज ने सभी समुदायों और वर्गों को एकजुट किया है। दूसरे राज्यों से लोग अक्सर महाराष्ट्र आते हैं और अपनी बात कहते हैं, लेकिन इस तरह की टिप्पणियां यहां के लोगों को पसंद नहीं आती हैं और अस्वीकार्य हैं।



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