महाराष्ट्र में लाडकी बहिन योजना का असर, MVA का भी ‘महालक्ष्मी’ ऐलान, अब महायुति पर कितना लाड बरसाएंगी बहनें?
महाराष्ट्र में महायुति सरकार की शुरू की गई ‘लाडकी बहिन योजना’ चुनावी मुद्दा बन गई है। इस योजना के तहत 2.35 करोड़ महिलाओं को सीधे आर्थिक सहायता दी जा रही है, जिसका असर आगामी विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है। MVA ने भी इसी तरह की योजना का ऐलान किया है।
Nashik: लोकसभा चुनाव के बाद महायुति सरकार ने कई लोक लुभावन योजनाएं शुरू कर वोटर्स का दिल जीतने की कोशिश की है। लोकसभा चुनावों में महाविकास आघाडी (MVA) का महाराष्ट्र में वोट शेयर महायुति से 2 फीसदी अधिक था। ओबीसी और मराठा आरक्षण के मुद्दों के बीच मुख्यमंत्री लाडकी बहिन योजना की शुरुआत कर महायुति ने 2.35 महिलाओं के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर किए हैं। यह योजना महायुति के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हो सकती है। यही कारण है कि इस योजना के करण राज्य पर बढ़ते आर्थिक बोझ की बात करने वाले गठबंधन एमवीए ने भी 3 हज़ार रुपये प्रति माह देने की घोषणा कर दी।
इससे पहले महायुति ने 1,500 रुपये की रकम को बढ़ाकर 2,100 रुपये करने की घोषणा की थी। उत्तर महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में योजना का प्रचार-प्रसार भी अच्छे से हुआ है और महिलाओं के खाते में पैसे भी पहुंचे हैं।
त्योहारों में नहीं था ‘संकट’
धुलिया से नंदुरबार जाते समय हुए आसावी पाडावी ने बताया कि वह दिवाली के बाद एक-दो दिन छुट्टी मनाने मायके जा रही हैं। आसावी ने बताया कि शादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है। इस बार लाडली बहन योजना के 3,000 रुपये (अक्टूबर-नवंबर) अक्टूबर में ही आ गए। राखी से पहले भी ऐसा ही हुआ। आसावी ने नई साड़ी दिखाते हुए कहा कि यह हमारे चुनावी कैंडिडेट ने दी है। यहां सभी महिलाओं को मिली है, चाहे वे किसी भी पार्टी की हों। सिर्फ़ आधार कार्ड दिखाना होता है। इसी दौरान, एसटी बस की महिला कंडक्टर ने कहा कि इन्हें टिकट में भी 50 फीसदी की रियायत मिलती है।
सरकार ने अब तक महाराष्ट्र में करीब 2.35 करोड़ महिलाओं के खातों में करीब 8,700 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं। 1 जुलाई 2024 से यह स्कीम लागू हुई थी, अब तक पांच किश्तें जमा हो चुकी हैं।
सिर्फ वोटर हैं ‘लाडली’!
महाराष्ट्र में सभी पार्टियां 2 प्रतिशत के मार्जिन को कम करने के लिए लाडली बहन या महालक्ष्मी योजनाओं के वादे कर रही हैं। दूसरी ओर, लाडलियों को प्रत्याशी बनाने में कंजूसी बरती है। नासिक जिले की 15 विधानसभा सीटों में से केवल 6 सीटों पर महिलाओं को टिकट दिए गए हैं। इन सीटों पर 7 पार्टियों ने 9 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। नासिक जिले की सभी सीटों पर 24.28 हज़ार महिला वोटर्स हैं।
गौर करने वाली बात है कि इस क्षेत्र से 2014 में 15 और 2019 में 11 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था। पिछले 10 साल में यहां लगातार महिला उम्मीदवारों की संख्या घटी है। पार्टियों ने इस बार जिन महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, वे सभी पहले विधायक रह चुकी हैं। इन सभी सीटों पर कांग्रेस और उद्धव गुट की ओर से एक भी महिला को टिकट नहीं दिया गया है।
आपस में लड़ रहीं ‘सहेलियां’
वैसे भी महिला उम्मीदवारों की भागीदारी कम है, उस पर देवलाली में एक ही गठबंधन की दो उम्मीदवार लड़ रही हैं। महायुति के घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस (अजित गुट) सरोज अहिरे के सामने शिवसेना (शिंदे गुट) से डॉक्टर राजश्री आहेराव को टिकट दिया गया है। वैसे, महाराष्ट्र में महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति केवल कागजों पर ही अच्छी दिखती है। 2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र का लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 922 है (राष्ट्रीय औसत 940 है)। महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा भी चिंता का एक कारण है। महाराष्ट्र में औसतन महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 121 मामले प्रतिदिन दर्ज होते हैं। 2023 में राज्य में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 47,381 मामले दर्ज किए गए। पिछले 2 साल (2022 और 2021) में यह संख्या क्रमशः 45,331 और 39,526 थी, जो हर साल 4.5 प्रतिशत की वृद्धि का संकेत देती है।
लाडली कैसे बदलेंगी तकदीर?
विधानसभा क्षेत्रों के अनुसार संसदीय चुनाव के परिणाम को देखें, तो एमवीए 154 सीटों पर और महायुति 127 सीटों पर आगे थी। लाडली बहन योजना से यह उम्मीद की जा रही है कि यह महायुति के पक्ष में बदलाव लाएगी। इसके अलावा, 2022-23 में महाराष्ट्र पर किए गए राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के सर्वेक्षण के अनुसार, 29,13,965 महिलाएं असंगठित क्षेत्र में कार्यरत थीं, जबकि संगठित क्षेत्र में केवल 77,782 महिलाएं काम कर रही थीं। कृषि क्षेत्र के बाहर कार्यरत महिलाओं में से 97 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में थीं। ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक तौर पर कमजोर महिलाओं को लुभाने वाली यह योजना ब्रह्मास्त्र साबित हो सकती है।